सोमवार, 23 अप्रैल 2018

मुख्य रूप से ग्राम पंचायत की होती हैं ये जिम्मेदारियां

मुख्य रूप से ग्राम पंचायत की होती हैं ये जिम्मेदारियां

  1. गाँव के रोड को पक्का करना, उनका रख रखाव करना
  2. गांव में पक्की सड़क
  3. गाँव में पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करना
  4. पशु पालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, दूध बिक्री केंद्र और डेयरी की व्यवस्था करना
  5. सिंचाई के साधन की व्यवस्था
  6. गाँव में स्वच्छता बनाये रखना
  7. गाँव के सार्वजनिक स्थानों पर लाइट्स का इंतजाम करना
  8. दाह संस्कार व कब्रिस्तान का रख रखाव करना
  9. गांव में खेती को बढ़ावा देना भी पंचायत का काम। फोटो- अभिषेक
  10. कृषि को बढ़ावा देने वाले प्रयोगों प्रोत्साहित करना
  11. गाँव में प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना
  12. खेल का मैदान व खेल को बढ़ावा देना
  13. गाँव की सड़कों और सार्वजनिक स्थान पर पेड़ लगाना
  14. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम को आगे बढ़ाना
  15. जन्म मृत्यु विवाह आदि का रिकॉर्ड रखना
  16. गाँव में भाई चारे का माहौल बनाना
  17. आंगनबाड़ी केंद्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करना
  18. मछली पालन को बढ़ावा देना
  19. मनरेगा के तहत के तहत कार्य
लखनऊ। गांवों के देश भारत में हर वर्ष 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। जैसे देश की संसद से चलता है वैसे ही गांव ग्राम पंचायत से चलते हैं। सरकार गांवों के विकास के लिए इन्हीं पंचायतों को हर साल लाखों रुपए देती है। उदाहरण के लिए आपको बता दूं कि यूपी में औसतन हर ग्राम पंचायत को सालभर में 20-40 लाख रुपए मिलते हैं।
पूरे भारत में साढ़े छह लाख से ज्यादा गांव हैं। पंचायत तीन स्तर पर काम करती हैं, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद पंचायतों के लिए 14वां वित्त लागू किया गया और जिला और क्षेत्र पंचायत के फंड में कटौती करके ग्राम पंचायतों के बजट को काफी बढ़ा दिया गया। पंचायत के कामों में पारदर्शिता और निगरानी के लिए कई नियम भी बनाए गए हैं।
वर्ष 2011 की जनसंख्या के मुताबिक सोलह करोड़ की ग्रामीण आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 59,163 ग्राम पंचायतें हैं। औसतन एक ग्राम पंचायत में 2700 लोग रहते हैं। इन लोगों को अच्छी सुविधाएं देने के लिए उत्तर प्रदेश की पंचायतों को इस साल मिले पैसे का गुणाभाग बताया है कि रकम कितनी ज्यादा है। गांवों में विकास की सबसे प्राथमिक जिम्मेदारी पंचायती रात विभाग की है। जिसे केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर फंड करती हैं।
यूपी में 14वें वित्त की दूसरी किस्त के रुप में पंचायतों को 6 हजार करोड़ रुपए दिए हैं, तो राज्य सरकार ने अपने हिस्से से 2 हजार करोड़ रुपए जारी किए हैं। इसके साथ ही स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की तरफ से 4 हजार 942 करोड़ रुपए मिले हैं। पिछले बार की अपेक्षा मनरेगा के बजट में काफी बढ़ोतरी हुई है और वर्ष 2018-19 के लिए ये 5833 करोड़ रुपए है। इस पूरे पैसो को जोड़ दिया जाए तो औसतन एक व्यक्ति के लिए सरकार 1094 रुपए देती है।
गांवों में जागरुकता और ग्राम पंचायतों को स्वतंत्र बनाए जाने के लिए काम करे राष्ट्रीय मतदाता संघ के अध्यक्ष और आरटीआई कार्यकर्ता पंकज नाथ कल्कि बताते हैं, जिनता पैसा सरकार देती है अगर उसका 60-70 फीसदी पंचायतों में खर्च हो जाए तो एक ही पंचवर्षीय योजना में गांवों की किस्मत बदल जाएगी। लेकिन न ऐसा नेता और प्रधान चाहते हैं और न सरकारी मशीनरी।’
अपनी दावों के समर्थन में वो कहते हैं, “साल 1999 से भारत सरकार अपने पैसे से गांवों में शौचालय बनवा रही है, लेकिन करोड़ों घरों में आज भी शौचालय नहीं है।’
निगरानी और पारदर्शिता के सवाल पर उत्तर प्रदेश के पंचायती राज निदेशक आकाश दीप कहते हैं, पंचायत का काम बहुत व्यापक है, इसलिए शुरुआत में कुछ दिक्कतें थे लेकिन अब सब कुछ कंप्यूटर पर है, अगर प्रधान ने किसी को एक प्रधानमंत्री आवास दिया है तो पहले उसके कच्चे घर (झोपडी आदि) की फोटो उसे स्थान से भेजेगा, जिसे जियो टैगिंग कहते हैं, फिर निर्माण होने के बाद दूसरी फोटो आएगी, इसलिए हर तरह से कोशिश करती है पैसा सही जगह खर्च हो और लाभार्थी को पूरा लाभ मिले।’
वो आगे कहते हैं, “सिर्फ पंचायती राज के तहत सड़क, नाली बनाने और पानी की व्यवस्था आदि के (मनरेगा आदि को छोड़कर) 14 से 16 तरह के काम होते हैं। यानि साल में करीब 8-10 लाख वर्क होते हैं, काम को देखते हुए मैनफोर्स और संसाधन कम हैं। ग्राम पंचायतों के डिजिटलाइज होने से ये मुश्किलें और आसान हो जाएंगी, 8000 के करीब कंप्यूटर खरीदे जा चुके हैं, गांवों तक ब्रांडबैंड पहुंच रहा है। संविका कर्मियों (जेई, आपरेटर) आदि की भर्ती के संबंध में कानून रुकावट दूर हो गई है। जल्द प्रक्रिया पूरी होगी।’
दरअसल पंचायतों को दिए जाने वाले पंचायती राज के बजट में 7-10 फीसदी कंटेजेंसी चार्ज होता है। जिस पैसे से पंचायतों को तकनीकी और प्रशासनिक मदद देनी चाहिए, उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014-15 के बाद से इस फंड का करोड़ों रुपए खर्च ही नहीं हो पाया है।
पंकज नाथ कल्कि कहते हैं, “कंटेंजेंसी फंड का खर्च न होना हानिकारक है, इससे न सिर्फ प्रधानों को कार्य योजना (ग्राम पंचायत विकास योजना-जीपीडीपी) बनाने में मुश्किलें आई बल्कि जो कार्य हुआ उसकी निगरानी और क्वालिटी चैक कैसे हुआ। क्योंकि सरकार ने जेई आपरेटर रखे नहीं। इससे भष्टाचार को बढ़ावा मिला।’ हालांकि पंचायती राज निदेशक आकाश दीप के मुताबिक कंटेजेसी फंड का आवश्यकतानुसार गांवों के विकास में इस्तेमाल किया गया है,दूसरा ये काम संविदाकर्मियों से होना था, लेकिन 2014-15 में ही एक रिट कोर्ट में दाखिल हो गई थी, इसलिए देरी हुई, अभी प्रक्रिया जारी है।’
पंचायती राज विभाग के मुताबिक यूपी में सारा काम अब कंप्यूटर पर हो रहा है, ब्लॉक दफ्तर में मौजूद मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन के संसाधनों का सहयोग लिया गया है।

modi care

No automatic alt text available.

school gide line

Image may contain: 6 people, people smiling

हमारी बेटियां हमारा अभिमान

(बेटियों की पुकार -दिल्ली में पिता के लिए ब्ल्ड की जरूरत )
दिल्ली के सरिता विहार के अपोलो हॉस्पिटल में किडनी और लिवर डोनेट कर
अपने पिता पुलिस इंस्पेक्टर रहकर देश की सेवा कर चुके जोरहाट के 54 वर्षीय देबाजित दास को नई जिंदगी देने का प्रयास कर रही आसाम की प्रेरणो दास और कृष्णखी दास आज दिल्लीवासियों से मंगलवार को होने वाले बड़े ऑपरेशन के लिए B Positive ब्ल्ड डोनट करने की गुहार लगा रही है संपर्क
7002922588 !दिल्ली में आसाम के देबाजीत दास को ब्ल्ड डोनेट करने के लिए संपर्क कर सकते है उनके दूसरे नंबर भी 9085704822
नोट -तीन बेटियों और माता पिता के अलावा इस छोटे से परिवार को ब्ल्ड से मदद कर पुण्य के भागी बने !
(हमारी बेटियां हमारा अभिमान)

रविवार, 22 अप्रैल 2018

ECO CRAFT

Image may contain: plant

CANE CRAFT

No automatic alt text available.

good feeling

Image may contain: one or more people, people sitting, table and indoor

देवकली मन्दिर औरैया

देवकली मन्दिर औरैया में स्थापित शिव लिंग का स्थापत्य काल कन्नौज के राजा जय चन्द्र के शासन काल से सैकड़ो वर्ष पहले 9वी व 10वी शताब्दी का है ၊ यह प्रारम्भिक जानकारी कन्नौज के राजकीय संग्रहालय द्वारा प्राप्त हुई है ၊ अगर 9वी शताब्दी की बात करे तो 836 ईं से 885 ईं तक प्रतिहार वंश के सबसे प्रतापी राजा मिहिर भोज कन्नोज के शासक थे ၊ उनका राज्य सिन्ध से लेकर बंगाल और दक्षिण भारत तक फैला था ၊ वह कुशल शासक के साथ साथ शिव भक्त भी थे ၊ उन्होंने अपने शासन काल में जगह जगह शिव मन्दिरों सहीत अन्य देवी देवताओं के मन्दिरों का निमार्ण करवाया ၊ वाराह भगवान को उन्होंने राजकीय चिन्ह घोषित किया था ၊ उनको बाराह की उपाधि दी गई थी ၊ मिहिर भोज ने अरबो को सिन्ध से Image may contain: food
Image may contain: outdoor
खदेड़ कर भारत वर्ष को एक मजबूत शासन प्रदान किया था - जय हिन्द