मंगलवार, 28 मई 2019

नाथूला और भूटान के परमिट की जद्दोजहद

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नाथूला और भूटान के परमिट की जद्दोजहद को मैं किसी जंग से कम नहीं मानता। कसम से युद्ध सा लडना पडता है, खासकर भूटान परमिट के लिए।
उत्तरी सिक्किम में नाथूला, छांगू झील, जुलूक की सर्पिलाकार सडकें और गुरूडोंगमार की ऐडवेंचरस जर्नी के लिए या तो आप सीधे ट्रैवल ऐजेंट से मिलकर गाडी कीजिये वरना खुद की बाइक ले जाइये। यदि आप खुद अपनी बाइक से नहीं जा रहे हैं तो वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाईसेंस, और साथ में गाडी मालिक का नोटरी पब्लिक प्रमाणित आथोरिटी लैटर जरूर रखें। गंगटोक में सुबह 8 बजे से शाम 1 बजे तक फार्म भरिया और शाम को आपको परमीशन लैटर मिलेगा उसे बगल के ही पुलिस औफिस में जमा कराईये, तब आपको अगले दिन सुबह 7 बजे परमिट मिलेगा।
भूटान के लिए फुंशलिंग बौर्डर सिटी स्थित इमिग्रेशन औफिस में फार्म फिर अप करना होता है। यहां वोटर कार्ड या पासपोर्ट चलता है, आधार कार्ड या ड्राइविंग लाईसेंस नहीं चलता। दो फोटो चाहिए बस। फार्म जमा करने के बाद वैरीफाई के लिये लाईन लगाओ और फिर ऊपर फिंगर प्रिंट के लिए लाईन लगाओ और फिर मौहर सील के लिए लाईन लगाओ और फिर अधिकारी के साइन कराओ तब परमिट क्लीयर होगा। यदि बाइक परमिट भी चाहिए तो फिर आरटीओ औफिस जाओ और फिर लाईन लगाओ। भीड बहुत है। शाम 4 बजे तक ही काम होता है। एक दिन में परमिट मिलना संभव नहीं है। यहां से आपको केवल पारो और थिंपू के लिए परमिट मिलेगा। यदि आप और ऊपर मतलब बुमथांग पुन्ननाखा जाना चाहते हैं तो थिंपू औफिस से ही परमिट मिलेगा।
बाकी किसी अन्य जानकारी के लिए मैं आपको भूटान के नंबर उपलब्ध करा सकता हूँ। परमिट के लिए आपको कम से कम एक दिन की होटल बुकिंग अवश्य चाहिये। औनलाईन कर सकते हैं या फिर होटल वाले को फौन से कर सकते हैं। परमिट मिल चुका है, 100 रू की भूटानी सिम से पहली पोस्ट डाल रहा हूँ। बौर्डर के इस पार जयगांव में रुका हूं 600 रु में। बीयर 70 रू की है बस। 


बुधवार, 15 मई 2019

मिनी स्विट्ज़रलैंड से कम नही शांघड़

मिनी स्विट्ज़रलैंड से कम नही शांघड़ की दिलकश वादियों के नजारे ।
हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लू की सैंज घाटी के शांघड़ को प्रकृति ने दिल खोलकर सौन्दर्य प्रदान किया है । विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भी इस क्षेत्र को अलग पहचान प्रदान करता है । यहां करीब 128 बीघा जमीन पर फैला विशाल मैदान चारों ओर देवदार के वृक्षों से घिरा हुआ है जो यहां की सुन्दरता को मनमोहक बनाता है । गर्मियों के मौसम में हरियाली और सर्दियों के मौसम में सफेद चादर ओढ़े इस मैदान की सुन्दरता सैलानियों को यहीं बसने के लिए प्रेरित करती है।यहाँ पर देवता शंगचुल का भव्य मंदिर भी है जो पहाड़ी वास्तुशिल्प का बेजोड़ नमूना है। इस विशाल भूखंड को मदाना के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य, कला संस्कृति, पुरातन परम्पराओं और प्राकृतिक संसाधनों का भी खजाना है। यहां का चप्पा चप्पा बेमिसाल है कल-कल करते झरने, देवदार के वृक्षों की आगोश में बसे छोटे छोटे गाँव, मदाना से लपाह तक के नजारे जो कदम-कदम बदलते परिदृश्य सहज ही दर्शनीय एवं लुभावने लगते है। यहां के इस विशाल मैदान में कहीं पर भी कोई कंकड़, पत्थर, कूड़ा-कचरा और चट्टान आदि दिखाई नहीं देते है।इस लिए यहां पर मैदान की ढलानों में खेलना कूदना,दौड़ना भागना और घूमना फिरना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है। इस मैदान में स्थानीय लोगों के पशु घास चरते है जिस कारण यहां पूरे मैदान में घास की लंबाई लगभग एक समान रहती है। इस मैदान के अन्दर शराब पीना, टेंट लगाना और गन्दगी फैलाना निषेध है।
हिमाचल प्रदेश कुल्लु जिला के उप-मण्डल बंजार में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों मे से एक है। साल- 2014 मे यूनेस्को द्वारा इस ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को विश्व धरोहर की सूचि मे शामिल किया गया है। इस पार्क का क्षेत्रफल 754.4 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जो अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधिता का खज़ाना है। शांघड़ भी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के इको जॉन क्षेत्र के तहत आता है। यहाँ पर सैलानियों को घूमने फिरन के लिए कई मनोरम स्थल और ट्रैकिंग रूट्स उपलब्ध है। इस क्षेत्र के इको जॉन और कोर जॉन में 1 दिन से लेकर 15 दिन तक घूमने फिरने और ट्रैकिंग कैंपिंग का आनन्द लिया जा सकता है। यहां पर सैलानी मदाना ,वरसंघड़ झरना, सर्रा झील, पुंडरीक झील, गझाऊ थाच, थिनी थाच, लपाह,शकत्ती मरौर जैसे खूबसूरत स्थलों पर आसानी से पैदल सफर कर सकते है।यहां पर ठहरने के लिए वन विभाग का विश्राम गृह तथा कई निजी होमस्टे और कॉटेज भी उपलब्ध है। यहां तक दिल्ली, चंडीगड़, शिमला, कुल्लू मनाली, बंजार व तीर्थन घाटी की ओर से छोटे बड़े वाहनों द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
शांघड़ जैसे खुबसूरत पर्यटन स्थल पर हर वर्ष सैलानियो की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है और देसी विदेशी पर्यटक यहां आकर हसीन दिलकश शान्त वादियों में कुछ पल बिता कर यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का भरपूर लुत्फ ले रहे है लेकिन कुछ सुविधाओं के अभाव में सैलानियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सडक योजना के तहत बस योग्य सड़क का निर्माण किया गया है परन्तु कच्ची सड़क होने के कारण यहाँ तक वाहन पहुंचाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके इलावा यहाँ पर अभी तक सार्वजनिक शौचालय, शुद्ध पेयजल और कुड़ेदान जैसी सुविधा का भी अभाव है।
शांघड़ पहाड़ के शिखर पर बसा हुआ एक ऐसा खुबसूरत पड़ाव है जिसकी कीमत, महत्व और नजारा यहां कदम धरने पर ही महसुस किया जा सकता है सिर्फ जरूरत है इस अनमोल धरोहर को संजोए रखने की।

तीर्थन वैली 5 दिनों का पैकेज


पहला दिन: गुशैनी ... तीर्थन नदी के किनारे टैंट में रुकें...
दूसरा दिन: गुशैनी घूमेंगे... वाटरफाल घूमेंगे... बहुत लंबा-चौड़ा एरिया नहीं है... आपको अच्छा लगेगा, यह विश्वास है.....
तीसरा दिन: टैक्सी में बैठेंगे और जीभी की ओर चलेंगे... पहले चैहणी कोठी देखेंगे... फिर जीभी वाटरफाल देखेंगे... और शाम को घियागी में या तो होम-स्टे में रुकेंगे या टैंट में...
चौथा दिन: टैक्सी में बैठेंगे और सीधे जलोड़ी जोत जाएँगे... सेरोलसर झील का 5+5 किलोमीटर का ट्रैक करेंगे और दोपहर बाद तक घियागी लौट आएँगे... मौका लगा, तो सजवाड़ वाटरफाल भी देख लेंगे... मौका नहीं लगा, तो नहीं देखेंगे...
पाँचवाँ दिन: नाश्ते के बाद बायबाय, अलविदा कर देंगे... फिर आपको जहाँ जाना हो, वहाँ चले जाना...
खर्चा: 1 व्यक्ति: 10000 रुपये...
2 या 2 से ज्यादा व्यक्ति: 8000 रुपये प्रति व्यक्ति...
बच्चा (3-12 वर्ष): 5000 रुपये...
इसमें शामिल होंगे:
1. चार रात टैंट, कैंप या होम-स्टे में ठहरना...
2. 5 ब्रेकफास्ट और 4 डिनर
3. तीसरे दिन गुशैनी से घियागी तक और चौथे दिन जलोड़ी जोत आने-जाने के लिए टैक्सी...
4. वेरियस वाटर एक्टिविटी, जैसे कि ट्राउट फिशिंग आदि...
5. बोनफायर
6. गाइड
7. जी.एस.टी.
और शामिल नहीं होंगे...
1. पहले दिन गुशैनी आने और आखिरी दिन घियागी से लौटने के लिए ट्रांसपोर्ट खर्च...
2. लंच
3. कोई भी मेडिकल खर्च (अच्छा अस्पताल बंजार में है, जो गुशैनी से 10 किलोमीटर, जीभी से 8 किलोमीटर, घियागी से 10 किलोमीटर और जलोड़ी जोत से 20 किलोमीटर है)
4. कोई भी पर्सनल शॉपिंग
5. और जो खर्च ऊपर नहीं लिखा...
 किसी भी तरह की दारू, बीयर आदि पर सख्त प्रतिबंध रहेगा... पकड़े जाने पर आपको यात्रा से निष्कासित कर दिया जाएगा और कुछ भी रिफंड नहीं दिया जाएगा...
यदि आप अपने वाहन का प्रयोग करते हैं, तो आपके ग्रुप को 2000 रुपये का डिस्काउंट प्रदान किया जाएगा...
और आखिर में बचती है रिफंड पॉलिसी... जैसे ही आप एकाउंट में एमाउंट जमा करेंगे और अपनी सुविधानुसार डेट हमें बता देंगे, हम तुरंत आपके लिए कमरे बुक कर देंगे... क्योंकि जून यहाँ भी पीक सीजन होता है... तो इस प्रकार 50% एमाउंट आपको वापस नहीं मिलेगी... बाकी 50% एमाउंट आप ट्रिप शुरू होने से पहले कभी भी वापस ले सकते हैं... ट्रिप शुरू होने के बाद आपको कुछ भी रिफंड नहीं मिलेगा...
...
यह पाँच दिनों का कार्यक्रम इसलिए बनाया है, क्योंकि बहुत सारे मित्र पैकेज बनाने को कह रहे हैं... इसमें ट्रैकिंग बहुत कम है और आराम ज्यादा है... अगर आपको ट्रैकिंग करनी है, तो अनगिनत ट्रैक हैं यहाँ... और मुश्किल भी नहीं... आप लांभरी हिल का दो दिन का ट्रैक कर सकते हैं... सकीर्ण जोत का दो दिन का ट्रैक कर सकते हैं... बशलेव पास का दो दिन का ट्रैक है... रघुपुर फोर्ट से बाहु फोर्ट का एक दिन का ट्रैक है... जलोडी से सेरोलसर, लांभरी हिल, सकीर्ण होते हुए चैहणी कोठी का सर्कुलर ट्रैक है... जलोडी जोत से बशलेव पास का जंगल ट्रैक है... ये सभी ट्रैक अधिकतम 3600 मीटर तक के हैं... और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के भीतर भी अनगिनत ट्रैक हैं...
अगर आपको ट्रैकिंग करनी है, तो यह बात हमारे कान में डाल देना... हम आपको सारी जानकारी दे देंगे... और ऐसी जानकारी दे देंगे कि आप खुद कोई भी ट्रैक आसानी से कर सकोगे... और अगर पैकेज चाहिए, तो पैकेज बनाने में देर ही कितनी लगती है??... पैकेज बनेगा, तो मजे से चलेंगे टैंट-टूंट लेकर... और उधर ही कहीं जंगल में मंगल करेंगे...
और हाँ... अगर आपको टैंट या होम-स्टे में नहीं रुकना है, तो आपके लिए और अच्छे कमरों की व्यवस्था हो जाएगी... रिसोर्ट की व्यवस्था हो जाएगी... बस, पैसे कुछ ज्यादा लगेंगे... यह बात भी आप हमारे कान में डाल देना...
(गुशैनी कैसे पहुँचें... दिल्ली या चंडीगढ़ से जब मनाली की ओर चलते हैं, तो मंडी और कुल्लू के बीच में औट नामक कस्बा पड़ता है... यहीं से तीर्थन वैली का रास्ता अलग होता है... गुशैनी भी तीर्थन वैली के बहुत सारे गाँवों में से एक गाँव है... औट और कुल्लू से गुशैनी के लिए पूरे दिन लगभग हर आधे घंटे में बस सेवा है, जो औट से गुशैनी तक 2 घंटे लगाती है... दिल्ली से औट तक 12 घंटे लगते हैं और चंडीगढ़ से औट तक 7 घंटे... इस प्रकार दिल्ली से गुशैनी यानी तीर्थन वैली तक 14 घंटे लगेंगे और चंडीगढ़ से 9 घंटे... सर्वोत्तम यही है कि दिल्ली से औट तक ओवरनाइट बस से आइए... सुबह औट उतरकर दोपहर होने से पहले-पहले तीर्थन वैली पहुँच जाइए...)
अरे हाँ, फोन नंबर तो बताना भूल ही गया... 9456652435.. यही व्हाट्सएप नंबर भी है..