रविवार, 7 दिसंबर 2014

मुन्नार बैक बाटर्स केरल की सैर

मुन्नार बैक बाटर्स केरल की सैर
सर्दी में भी अगर हरी भरी वादियों का आनंन्द लेना है तो केरल के मुन्नार से भला क्या हो सकता है। यहां के चाय बागान बैकवाटर्स और अरब सागर की नयना भिराम अपलक निहारने वाली सुन्दरता आप के लिये यादगार अनुभव बन जायेगी।
केरल को देवतांओ की भूमि ऐसे ही नही कहा जाता है यह वहां जाने ,रहने, और कुछ अरसे के लिये दुनियांदारी को भूल कर ही समझा जासकता है। चाय बागान के बिस्तार, बैकवाटर्स, खामोश घने जंगल और  कल कल करती समुद्र की स्वर लहरियां ,सुरम्य हरी भरी बादियां,अपलक निहारते ही बनती है  अगर ईश्वर को वाकई किसी ठिकाने की जरुरत है तो वह अन्यत्र कही कैसे रह सकते है।
मुन्नार 
मुन्नार यानी पश्चिमीघाट पर  चाय के बागानों के बीच केरल का एक छोटा सा पर्वतीय टापू जो समुद्रतल से 1600  मीटर की ऊंचाई पर बसा है। एक समय यह दछिण भारत में बसे ब्रिटिशवासियों के लिये ग्रीष्म काल की आराम गाह था। आज यह जगह देश विदेश के शैलानियों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है एक खुली और ताजी सांस लेने की जगह है। इसे नेशननल ज्योग्राफ़िक ट्रेवलर ने दुनियां के  प्रथम 10  मह्त्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में  शुमार किया है। मुन्नार में ही दछिण भारतकी  सबसे ऊंची चोटी स्थित है जिसकी ऊंचाई 2695 मीटर है।यहीं पर स्थित है 97 वर्ग किलो मीटर में फ़ैला  बेह्द खूबसूरत इरावीकुलम नेशनल पार्क।

मुन्नार के आस पास
मत्तु पेटी मुन्नार से 13  किलो मीटर दूर मत्तु पेटी है। यहां डैम और लेक के किनारे चहल कद मी कर सकते है। दूर तक जाने के लिये बोट की भी सैर कर सकते है।
चाय के शौकीन हों या न हों ,टीम्यूजियम जरुर देखें टीम्यूजियम  अपने आप में एक अनुभव है। वही रोज सुबह की एक प्याली चाय । चाय की पत्तियों की बाग से लेकर अपनी चाय की प्याली तक की महीनों की लम्बी यात्रा यहां कुछ देर में ही समझ में आजाती है।ताजी और महकती हुयी चाय का बेह्तरीन स्वाद का आनंन्द पहली बार आपको यहीं महसूस होगा।इसके अलावा चाय बा गानों का इतिहास भी नल्लथन्नी टी स्टेट के इस म्यूजियम की इमारत ,इसके कमरों और दीवारों पर नजर आता है।
कुमारकोम
केरल के बैक वाटर्स देखे बिना मुन्नार यात्रा पूरी नही होती , मुन्नार से कुमारकोम तक का सफ़र  तमाम जंगलों के बीच से होकर गुजरता है।जहां काली मिर्च से लेकर  दालचीनी की महक सुदूर हवा में तैरती रहती है। ये वही मसाले हैं जिन्होने तमाम विदेशियों को मालाबार के इन तटों की ओर आकर्षित किया।और हमारा इतिहास बदल दिया।
अलप्पी 
अलप्पी को पूर्व का वेनिस यूं ही नहीं कहा  जाता है अलप्पी बैक बाटर के लिये प्रसिद्ध है  अरब सागर के किनारे बनी  झील में प्रत्येक बर्ष भारत के प्रथम प्रधानमंत्री प० जवाहर लाल नेहरू की स्म्रति  में नेहरू नौका दौड का आयोजन  किया जाता है। दूर दिखाई देते चर्च , पानी के बीच लगे साइन बोर्ड झील के बीच उभरा  जमीन  का कोई हरा भरा सा टुकडा उस पर नारियल के पेडो के नीचे एक झोपडी और  बंधी हवा में पानी में  हिलती छोटी सी नाव ऐसी ही अनगिनत मनोरम द्रश्यो की स्रंखला हमारी आंखों से ओझल ही नही होती। बीच पर बनी किसी काफ़ी साप पर देर तक बैठें दछिण भारतीय खाना खाऐं, सोने के जग मगाते गहनों के बाजारों से होकर गुजरें। जेटी पर इंतजार करती बोट से होते हुए अपने होटल लौट आऐं।  
कोव ल म
अलप्पी से कोवलम तक का सफ़र केरल की बस्तियों और शहरों से होकर है। नारियल के झुरमुटों में बसे खूबसूरत घर किसी कलाकार द्वारा बनायी गयी  प्राक्रतिक सीनरी जैसे मालूम होते है। शाम के समय कोवलम तट पर काफ़ी चहल पहल रह्ती है तट के किनारे सजी रंगबिरंगी दुकानें बहुत ही सुन्दर लगती है। समुद्र का हर तट अपनी एक निराली छ्टा प्रस्तुत करता है।
कैसे पहुचें-
निकटत म रेलवे स्टेशन
आलुवा- 108 कि० मी०
अंगमाली-109  कि० मी०
निकटतम एयरपोर्ट- कोच्चि जहां से मुन्नार 108 कि० मी०
यात्राप्लान-
कम से कम  10   दिनों की योजना बना कर जाऐं।
मुन्नार में हल्के गर्म कपडे  रात के लिये रख लें । ज्यादा नही बस एक ही काफ़ी है।
पहले से प्लान बना कर जायें कि जितना समय आपके पास है उसमें क्या क्या देखना है।क्योंकि यहां देखने को बहुत कुछ है।
ठहरने के लिये बुकिंग पहले से करायें तो बेहतर है।
ज रु र त म ह सूस क रें तो www.kerlatourism.org  , www.india mike.com, की म द द लें। व हां से आप को त माम जान कारी मिल जाय गी।




 म ग र य हां के छोटे से स मुद्र त ट  पर  आप  अ रब सा ग र के वि स्तार को आप क भी न ही भू लें गें।




   

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