शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

अगली बार शिलोंग चेरापूंजी का प्लान बने तो गारो हिल्स भी जोड़ना अपनी लिस्ट में... और अगर विद फैमिली हो, तब तो ज़रूर ही ज़रूर जाना...

जनाब, पूर्वोत्तर से दूर बैठकर इसकी बातें करना बड़ा आसान है... "बेइंतिहा खूबसूरती" की कल्पना करना बड़ा सहज है... मोस्ट पॉपुलर टूरिस्ट सर्किट में घूमकर चले जाना और फिर कहना कि इधर तो बच्चा बच्चा हिंदी जानता है... ढाई हजार के कमरे में बैठकर मेहमाननवाजी की बातें करना...
अरे, कभी रिमोट में जाओ... असली दुनिया मिलेगी... दो दिन भी टिक जाओ तो कहना... मेघालय में 11 जिले हैं... शिलोंग, चेरापूंजी एक ही जिले में हैं... यही टूरिस्ट सर्किट है... इसके अलावा 10 जिले और भी हैं... गारो हिल्स में 5 जिले हैं... या शायद 4... और बड़े खतरनाक फीडबैक मिल रहे हैं उधर के...
उग्रवादी गतिविधि, जीरो टूरिज्म, बांग्लादेश बॉर्डर, चुनावी माहौल... अगली बार शिलोंग चेरापूंजी का प्लान बने तो गारो हिल्स भी जोड़ना अपनी लिस्ट में... और अगर विद फैमिली हो, तब तो ज़रूर ही ज़रूर जाना...
कल जब मैंने लिखा था कि मेघालय में हिंदी नहीं है, तो एक मित्र ने मुझे झूठा बोल दिया था... वो ज़रूर शिलोंग, चेरापूंजी से ही लौट गया होगा... यह फोटो जोवाई का है, जहाँ हम चिकन समोसा लेते-लेते बाल-बाल बचे और सब्जी पराँठा इस उम्मीद में खा रहे हैं कि आलू की सब्जी में चिकन, बीफ या पोर्क नहीं होगा...


सुबह गुवाहाटी से चले... लेकिन शिलोंग ने बिल्कुल भी आकर्षित नहीं किया... मुझे शहर पसंद नहीं, भले ही वो कितना ही बड़ा 'टूरिस्ट प्लेस' हो... शिलोंग पीक ज़रूर गये, लेकिन बुध को वो बंद रहती है... जोवाई आ गये... सड़क ने दिल जीत लिया... जोवाई में रुकना था...
पहला होटल... एक महिला... औसत कमरा... हरद्वार में तीन तीन सौ के मिलते हैं ऐसे कमरे... कितने का है?... सत्रा सौ... मुझे सत्रह सौ सुनायी पड़ा... दोबारा बताओ, हाऊ मच?... सत्रा सौ... इस बावली को हिंदी नहीं आती... मेघालय में हिंदी नहीं है... शायद सात सौ को सत्रा सौ बोल रही है... या फिर सात सौ ही बोल रही होगी, लेकिन मेरे कान बज रहे हैं...
फिर वो आयी अंग्रेजी पे... वन थाउजेंड सेवन हंड्रेस... मेरे दीदे फ़टे रह गये... यह तो वाकई सत्रह सौ कह रही है... मोलभाव करूँ भी तो कितना!... आठ सौ... नाईं...
दीप्ति ने पूछा... कितने का है?... सत्रह सौ का... चक्कर खाकर गिरने से बाल बाल बची...
...
जोवाई में और होटल ढूंढने लगे... अचानक समोसे दिख गये... रुक, रुक... कमरा तो होता रहेगा, लेकिन समोसा फिर ना मिलेगा...
... तो फिलहाल की कहानी ये है कि कमरा तो 800 का मिल गया, लेकिन हम समोसे नहीं 

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