बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

नाथों के नाथ केदारनाथ, हर हर महादेव

नाथों के नाथ केदारनाथ, हर हर महादेव
अब जबकि केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा हो चुकी है तो मैं केदारनाथ के दर्शनों को जाने वाले शिवभक्तों के लिए छोटी सी जरूरी जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूं। उम्मीद है आपको पसंद आएगी।
*1. केदारनाथ क्यों जाएं?*
केदारनाथ जाने की कई वजहें हो सकती हैं जिनमें पहली वजह धार्मिक ही है। केदारनाथ एक पवित्र तीर्थ स्थल है जहां भगवान शंकर का ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यदि आप धार्मिक वजह से न भी आएं तो प्राकृतिक नजारों को देखने के लिए यहां आ सकते हैं, पर मौज मस्ती के उद्देश्य से यहां कभी नहीं आएं।
*2. केदारनाथ कैसे जाएं?*
केदारनाथ की यात्रा सही मायने में हरिद्वार या ऋषिकेश से आरंभ होती है। हरिद्वार देश के सभी बड़े और प्रमुख शहरो से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। हरिद्वार तक आप ट्रेन से आ सकते है। यहाँ से आगे जाने के लिए आप चाहे तो टैक्सी बुक कर सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं। हरिद्वार से सोनप्रयाग 235 किलोमाटर और सोनप्रयाग से गौरीकुंड 5 किलोमाटर आप सड़क मार्ग से किसी भी प्रकार की गाड़ी से जा सकते है। इससे आगे का 16 किलोमाटर का रास्ता आपको पैदल ही चलना होगा या आप पालकी या घोडा से भी जा सकते हैं। रास्ता भी बहुत बहुत संभल कर चलने वाला है। हरिद्वार या ऋषिकेश में से आप जहाँ से भी यात्रा आरम्भ करें गौरीकुंड तक पहुँचने में 2 दिन लें। आप रात्रि विश्राम श्रीनगर (गढ़वाल) या रुद्रप्रयाग में करें और अगले दिन गौरीकुंड जाएं। यदि आप एक दिन में गौरीकुंड चले जाते हैं तो इस पहाड़ी रास्ते पर आप इतना अधिक थक जायेगें कि अगले दिन प्रतिकूल मौसम वाले जगह में गौरीकुंड से केदारनाथ की चढ़ाई चढ़ने में बहुत ही दिक्कत महसूस करेंगे। अच्छा यही होगा आप 2 दिन का समय लें ऐसा मेरा मानना है और मेरा अनुभव भी है। हरिद्वार के रास्ते में आपको बहुत ऐसे स्थान मिलेंगे जहाँ आप रात में रुक सकते हैं। पर इन जगहों में श्रीनगर और रुद्रप्रयाग लगभग आधी दुरी पर है। आप चाहे तो गुप्तकाशी में भी रुक सकते हैं और यदि आप पहले दिन हरिद्वार या ऋषिकेश से गुप्तकाशी तक पहुँच जाते हैं तो अगले दिन गौरीकुंड में रुकने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि गुप्तकाशी से गौरीकुंड 1 से 1ः30 घंटे का ही रास्ता है। आप अपना सामान होटल या गेस्ट हाउस में लाॅकर रूम में रखवाकर गुप्तकाशी से सुबह जल्दी 6 बजे तक निकल जाएँ और 8 बजे तक गौरीकुंड से चढ़ाई करना शुरू कर दें। शाम तक केदारनाथ पहुंचे दर्शन करे और रात में केदारनाथ में रुकें। यदि चाहे तो सुबह फिर से दर्शन करे और फिर वापस गौरीकुंड आ जाये और फिर गौरीकुंड से गुप्तकाशी आकर रात में रुकें। यदि आप पहले दिन श्रीनगर या रुदप्रयाग में रुकते हैं तो अगले दिन आप सारा सामान साथ में ले जाये और गौरीकुंड तक पहुचे और रात में गौरीकुंड में ठहरें। और फिर उसके अगले दिन सामान लाॅकर रूम में रखकर सुबह 5 बजे चढ़ाई शुरू कर दें। केदारनाथ पहुँच कर दर्शन करे फिर रात में रुकें या वापस गौरीकुंड वापस आ जाये। पर मेरा तो ये मानना है कि यदि आप केदारनाथ जाते है तो भोलेनाथ की उस धरती पर एक रात अवश्य गुजारें। एक बात और गौरीकुंड से केदारनाथ के रास्ते में दोपहर बाद मौसम खराब हो जाता है जो करीब 2 से 3 बजे तक खराब ही रहता है और ये कोई एक या दो दिन नहीं बल्कि हर दिन होता है।
बस से जाने के लिए आपको पहले रुद्रप्रयाग जाना होगा। रुद्रप्रयाग से दो रास्ते हो जाते हैं। एक रास्ता केदारनाथ और दूसरा बद्रीनाथ जाता है। हरिद्वार या ऋषिकेश से बस मिलती है जो देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग होते हुए चमोली जाती है और चमोली से गोपेश्वर तक जाती है। उसी बस से आप रुद्रप्रयोग तक का सफर कर सकते हैं। रुद्रप्रयाग से गौरीकुण्ड तक के सफर के लिए पहले सोनप्रयाग तक जाना होगा। सोनप्रयाग तक जाने के लिए रुद्रप्रयाग से सीधी बसें या जीपें मिल जाती है और यदि नहीं भी मिले तो गुप्तकाशी तक जा सकते हैं और उसके बाद गुप्तकाशी से सोनप्रयाग। सोनप्रयाग पहुंचकर वहां से जीप द्वारा गौरीकुण्ड तक पहुंचे। गौरीकुंड से केदारनाथ का रास्ता पैदल का है। यहाँ से पैदल, पालकी या घोड़े पर जा सकते है।
*3. केदारनाथ कब जाएं?*
केदारनाथ आने के लिये मई से अक्टूबर के मध्य का समय आदर्श माना जाता है क्योंकि इस दौरान मौसम काफी सुखद रहता है। भारी बर्फबारी के कारण केदारनाथ के मूल निवासी भी सर्दियों में पलायन कर जाते हैं। वैसे भी ये मंदिर केवल गर्मियों ही खुलता है। हर साल मंदिर खुलने में और बंद होने में कुछ दिनों को फर्क होता है क्योकि इसके लिए मुर्हूत निकाला जाता है हिंदी पंचांग के अनुसार होता है। कपाट खुलने की तिथि अक्षय तृतीया और बंद होने की तिथि दीपावली के आसपास होती है। बरसात के मौसम में जाना यहाँ ठीक नहीं होता क्योकि इस दौरान लैंड स्लाइडिंग का खतरा बढ़ जाता है और सड़के बंद हो जाती है। यात्री यहाँ वहां फँस जाते हैं।
*4. केदारनाथ के रास्ते में विभिन्न स्थनों की दूरियां 
दिल्ली से हरिद्वार : 250 से 300 किलोमीटर
हरिद्वार से ऋषिकेश : 24 किलोमीटर
ऋषिकेश से देवप्रयाग : 71 किलोमीटर
देवप्रयाग से श्रीनगर : 35 किलोमीटर
श्रीनगर से रुद्रप्रयाग : 32 किलोमीटर
रुद्रप्रयाग से दो रास्ते : एक रास्ता केदारनाथ और दूसरा रास्ता बदरीनाथ
रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी : 45 किलोमीटर
गुप्तकाशी से सोनप्रयाग : 31 किलोमीटर
सोनप्रयाग से गौरीकुंड : 5 किलोमीटर
गौरीकुंड से केदारनाथ : 16 किलोमीटर (नया रास्ता और पैदल चढ़ाई)

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